कजरी तीज

भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि पर कजरी तीज का पर्व मनाया जाता है। यह तीज रक्षाबंधन के तीन दिन बाद मनाई जाती है। इसे सतवा तीज, सातुड़ी तीज और सौंधा तीज के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि इस दिन विवाहित महिलाएं अखंड सौभाग्य की कामना के लिए कजरी तीज का व्रत रखती हैं। वहीं कुंवारी कन्याएं भी अच्छे वर की कामना के लिए इस व्रत को रखती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन माता पार्वती और भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा की जाती है। यह व्रत करवा चौथ की तरह रखा जाता है, इस दिन सुहागिन महिलाएं शाम को चंद्रमा को जल देने के बाद व्रत पारण करती हैं।

इस वर्ष भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि 02 सितंबर दिन शनिवार को पड़ेगी। आइए जानते हैं शुभ मुहूर्त।

तृतीया आरम्भ: 01 सितंबर, 2023 की रात 11 बजकर 52 मिनट

तृतीया समाप्त: 02 सितंबर, 2023 की रात 08 बजकर 51 मिनट तक।

कजरी तीज का महत्व

पूरे साल मनाए जाने वाले तीन तीज में कजरी तीज का महत्व सबसे अधिक है। यह त्योहार भी बाकी तीज की तरह ही है। इस व्रत को रखने का भी तरीका लगभग समान है। इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र व अच्छे स्वास्थ्य के लिए भूखे रहकर व्रत रखती हैं और पूरे विधि-विधान से पूजा करती हैं। मान्यता है कि इस यह व्रत को रखने से संतान सुख की प्राप्ति होती है। वहीं कुंवारी लड़कियां इस दिन व्रत रखकर योग्य वर की कामना करती हैं। पौराणिक मान्यता के अनुसार, माता पार्वती ने भी भगवान शिव को पाने के लिए कजरी तीज का व्रत रखा था और इस व्रत से ही भगवान शिव उन्हें पति के रूप में मिले थे। कजरी तीज में सूर्य ढलने के समय स्नान करके, साफ वस्त्र धारण कर शिव-पार्वती की मिट्टी की प्रतिमा बनाकर पूजा करनी चाहिए।

इस दिन करें पार्वती स्वयंवर मंत्र का जाप

‘ॐ ह्रीं योगिनी योगिनी योगेश्वरी योग भयंकरी सकल।

स्थावर जंगमस्य मुख हृदयं मम वशं आकर्षय आकर्षय नमः॥’

इस मंत्र का जाप करने के लिए उत्तर या पूर्व की ओर मुख करके बैठना चाहिए। जाप शुरू करने से पहले खुद को स्वच्छ कर लेना चाहिए।

कजरी तीज में इस विधि से करें पूजा

कजरी तीज के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि करें इसके बाद साफ कपड़े पहनें। कोशिश करें कि इस दिन हरे रंग के ही कपड़े पहनें।

सुहागन व कुवांरी कन्याएं इस दिन निर्जला रहकर यानी बिना पानी पिए इस व्रत को रखें। हालांकि यदि कोई महिला गर्भवती है, तो वो इस व्रत में फलाहार भी कर सकती है।

पूजा करने से पहले मिट्टी से माता पार्वती व भगवान शिव की मूर्ति बना लें और उसके बाद उसी मूर्ति की पूजा करें।

पूजा के दौरान माता पार्वती को सुहाग की 16 चीज़े जैसे- चूड़ी, बिंदी, कुमकुम, सिन्दूर, काजल, लाल जोड़ा, मेहंदी, इत्र, शीशा आदि मां पार्वती को चढ़ाएं और वहीं भगवान शिव को बेलपत्र, भांग, धतूरा, पंचामृत, फल-फूल आदि अर्पित करें।

पूजा के बाद किसी ब्राह्मण को भोजन और अपने सामर्थ्य अनुसार दान-दक्षिणा दें। पूजा  में चढ़ाई गई सुहाग की सामग्री किसी किसी सुहागन महिला या जरूरतमंदों को दान कर दें।

इसके बाद अपने पति के पैर छूकर आर्शीवाद लें।

वैसे तो कजरी तीज की पूजा भी करवाचौथ की तरह ही रात को चांद देखकर की जाती है लेकिन सुबह भी विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए फिर इसके बाद रात की पूजा की तैयारी करनी चाहिए। रात में आसमान में चांद निकलने के बाद चांदी की अंगूठी व गेहूं के दाने हाथ में लेकर चंद्रमा को जल का अर्घ्य देना चाहिए। फिर भोग चढ़ा कर और उसी स्थान की चार बार घूम कर परिक्रमा करनी चाहिए।

महिलाएं चांद की पूजा करने के बाद व्रत पारण कर सकती हैं।

कजरी तीज पर क्या करें और क्या न करें

कजरी तीज का व्रत विशेष रूप से महिलाएं रखती हैं। इस दौरान महिलाओं को कई चीजों का ध्यान रखना चाहिए और कई चीजों को इस दौरान जरूर अपनाना चाहिए। आइए जानते हैं इस दौरान क्या करें और क्या न करें।

कजरी तीज पर न करें ये काम

व्रत के दिन पति से झगड़ा व किसी प्रकार का क्रोध न करें न ही किसी प्रकार के गलत शब्दों का प्रयोग करें।

इस दिन पति के करीब रहें।

अगर व्रत रखा है तो अन्न व जल ग्रहण ना करें क्योंकि यह व्रत निर्जला रखा जाता है।

व्रत के दिन किसी की बुराई व चुगली न करें।

सुहागिन महिलाओं को सफेद रंग के कपड़े पहनने से बचना चाहिए क्योंकि यह अशुभ माना जाता है।

इस दिन अपने पति के नाम की मेहंदी लगाना न भूले।

कजरी तीज में जरूर करें ये काम

तीज पर महिलाओं को लोकगीत गाने चाहिए। ऐसा करने से आसपास का वातावरण सकारात्मक होता है।

इस दिन झूला झूलने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। इस दिन झूला जरूर झूलना चाहिए।

इस दिन सुहागिन महिलाओं को 16 श्रृंगार करके पूजा करनी चाहिए।

कजरी तीज के दिन हरे व लाल रंग के कपड़े पहनने चाहिए।

इस दिन सोना नहीं चाहिए और पूरे दिन भगवान शिव व माता पार्वती के नाम का भजन करना चाहिए।

कजरी तीज की पूजा पति-पत्नी को साथ मिलकर करनी चाहिए।

इस दिन तीज माता की कथाएं और गीत जरूर सुनना चाहिए।

कजरी तीज की पौराणिक कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, एक गांव में एक ब्राह्मण था, जो बेहद गरीब था। जब भाद्रपद महीने की कजरी तीज आई तो उसकी पत्नी ने उसका व्रत रखा। ब्राह्मण की पत्नी ने पति से कहा कि आज मेरा कजरी तीज का व्रत है और वह उसके लिए चने का सातु लेकर आए। ब्राह्मण ने कहा कि मैं सातु कहां से लाऊंगा? मेरे पास तो पैसा नहीं है उसे खरीदने के लिए। तब पत्नी बोली कि कहीं से भी लाओ चाहे चोरी करो या डाका डालो लेकिन मुझे सातु चाहिए। ब्राह्मण अपनी पत्नी की बात सुनते ही रात में ही सातु लेने निकल गया। ब्राह्मण साहूकार की दुकान पहुंचा और वहां उसने चने की दाल, घी, शक्कर लेकर सवा किलो तोलकर सातु बना लिया और उसे लेकर चुपचाप निकलने लगा।

ब्राह्मण की आवाज सुनती ही नौकर जाग गया और वह चोर-चोर चिल्लाने लगा। नौकर की आवाज सुनते ही साहूकार आ गया और उनसे ब्राह्मण को पकड़ लिया। ब्राह्मण साहूकार को देखकर घबरा गया और अपनी सफाई देते हुए कहा कि मैं कोई चोर नहीं हूं बल्कि मैं एक गरीब ब्राह्मण हूं। मेरी पत्नी ने आज तीज का व्रत रखा है इसलिए मैं सिर्फ यह सवा किलो का सातु बनाकर उसके लिए ले जा रहा था। जब साहूकार ने उसकी तलाशी ली तो उसे वाकई ब्राह्मण के पास से सातु के अलावा कुछ नहीं मिला। साहूकार ने कहा कि आज से मैं तुम्हारी पत्नी को अपनी धर्म बहन मानूंगा और यह कहकर साहूकार ने ब्राह्मण को सातु, थोड़े गहने, धन, मेहंदी देकर अच्छे से विदा किया। फिर सबने मिलकर कजरी माता की पूजा की। इसके बाद कजरी तीज के व्रत की महत्ता और अधिक बढ़ गई।

भगवान शिव को पाने के लिए माता पार्वती ने इस दिन की थी तपस्या

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, कजरी तीज के दिन ही पार्वती माता ने भगवान भोलेनाथ को पाने के लिए कठोर तपस्या की थी जिसके बाद उन्होंने भगवान शिव को पति के रूप में पाया था। महादेव को पति के रूप में पाना माता पार्वती के लिए बेहद कठिन था और इसके लिए उन्होंने कई वर्षों तक कठोर तपस्या की थी, जिसके बाद भगवान शिव प्रसन्न होकर माता पार्वती को पत्नी के रूप में अपनाया था। शास्त्रों के अनुसार, 108 जन्म लेने के बाद देवी पार्वती की यह इच्छा पूरी हो पाई थी  इसलिए इस दिन सुहागिन महिलाएं व्रत रखकर विधि-विधान के साथ माता पार्वती और शिव जी की पूजा करती हैं।

कजरी तीज पर राशिनुसार करें ये खास उपाय, होगी हर मनोकामना पूरी!

मेष राशि

मेष राशि वालों को कजरी तीज के दिन निर्जला व्रत रखना चाहिए और भगवान शिव के साथ माता पार्वती की पूजा करनी चाहिए। साथ ही, 108 बार ऊँ नम: शिवाय का मंत्र करना चाहिए।

वृषभ राशि

वृषभ राशि वालों को इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती को लाल फूल अर्पित करना चाहिए और लाल चुनरी चढ़ाना चाहिए।

मिथुन राशि

मिथुन राशि के लोगों को कजरी तीज के दिन मां पार्वती को हल्दी और भगवान शिव को सफेद चंदन चढ़ाना चाहिए। साथ ही, गरीब व जरूरतमंदों को दान करना चाहिए।

कर्क राशि

कर्क राशि राशि के जातकों को इस दिन माता पार्वती को इत्र और लाल सफेद फूल चढ़ाना चाहिए। साथ ही, ऊँ पार्वत्यै नमः मंत्र का जाप करना चाहिए।

सिंह राशि

सिंह राशि की महिलाओं को कजरी तीज के दिन पीले वस्त्र धारण करके भगवान शिव का दही व शहद से अभिषेक करना चाहिए।

कन्या राशि

कन्या राशि वाले लोगों को इस दिन अपने जीवनसाथी के साथ मिलकर रुद्राभिषेक करना चाहिए। इससे वैवाहिक जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।

तुला राशि

तुला राशि के जातकों को कजरी तीज के दिन हरे रंग के कपड़े पहनकर भगवान शिव को पंचामृत और माता पार्वती को श्रृंगार अर्पित करना चाहिए।

वृश्चिक राशि

वृश्चिक राशि के लोगों को कजरी तीज के दिन शिवलिंग पर इत्र और जल चढ़ाना चाहिए और माता पार्वती को पीले व लाल रंग के कपड़े और लाल व हरी चूड़ियां भेंट करना चाहिए।

धनु राशि

इस राशि के लोगों को कजरी तीज के दिन शिव चालीसा का पाठ करना चाहिए। गरीबों और जरूरतमंदों को अपने सामर्थ्य के हिसाब से दान करना चाहिए।

मकर राशि

इस राशि के जातकों को शाम के समय चंद्रमा को अर्घ्य देना चाहिए और भगवान शिव और माता पार्वती के भजन गाने चाहिए।

कुंभ राशि

कुंभ राशि के पति-पत्नी को कजरी तीज के दिन साथ मिलकर भगवान शिव का पंचामृत से अभिषेक करना चाहिए और माता पार्वती को गुलाबी रंग के कपड़े भेंट करना चाहिए।

मीन राशि

मीन राशि के जातकों को इस दिन भगवान शिव को 7, 21 व 52 दूर्वा घास चढ़ानी चाहिए। साथ ही, माता पार्वती को पीले रंग के वस्त्र और श्रृंगार की सामग्री अर्पित करना चाहिए।